White गये गुजर दिन जवॉ हुस्न ए कफस मे।
मिली मुक्ति बुढापे के दिवस मे।।
परचम आजादी का कहॉ लगाए हम।
यों ही गुजरी जिन्दगी,व्यर्थ के बहस मे।।
सुख दुख का उत्सव होते रहे संग उनके।
अब वो नही तो कैसे हो उत्सव नये बरस मे।।
हर पल मे यादें रहती दिल के पटल पर।
क्या करे कोई उहापोह के नर्वस मे।।
ऐसे ही गुजरते रहते हर नया साल
हर साल मनाते उत्सव जीवन जोश मे।
स्वरचित।
©रघुराम
#love_qoutes जीवन उत्सव