कुछ अधूरी बातों को तूने छूकर लबों से,
ख्वाबों के तसव्वुर का, अहसास कर दिया।
इस गुमसुम सी शाम के लम्स ने देखो ना,
तेरी यादों को मन के कितना, पास कर दिया ।
वो दूर किनारे बैठी, सादा सी लड़की को,
गालों पर उलझी जुल्फों ने, ख़ास कर दिया।
©Rajat Pratap Singh
#शहर