White माँ के आँचल में बसी है जन्नत की खुशबू, उसके | हिंदी शायरी

"White माँ के आँचल में बसी है जन्नत की खुशबू, उसके प्यार में हर दर्द की दवा बाकी है। लोरी की धुन से सजे हैं बचपन के नगमें, उसकी ममता का हर रंग-ओ-हवा बाकी है। उसके आशीर्वाद से रोशन है ये दुनिया, हर कठिन राह में उसका साया बाकी है। माँ की दुआओं में वो असर है छुपा, जो हर ठोकर पे हमें संभाल लेता बाकी है। माँ के आँचल की ठंडी छाँव है रहमत, जिसमें सुकून-ओ-अमन का जहाँ बाकी है। उसकी ममता में बसी है खुदा की रहमत, माँ का हर एहसास बेमिसाल बाकी है। जब भी गिरते हैं, उठाने को वो तैयार रहती है, उसकी ममता का हर पल हमें सहारा बाकी है। उसकी आँखों में दुआओं का एक समंदर है, हर लम्हा उसके प्यार का दरिया बाकी है। उसकी मुस्कान में छुपा है सुकून का जहाँ, उसकी बातों में जन्नत का सफ़र बाकी है। दूर रहकर भी उसके साये का एहसास मिलता है, माँ की ममता का वो अमर रिश्ता बाकी है। ©नवनीत ठाकुर"

 White माँ के आँचल में बसी है जन्नत की खुशबू,
उसके प्यार में हर दर्द की दवा बाकी है।
लोरी की धुन से सजे हैं बचपन के नगमें,
उसकी ममता का हर रंग-ओ-हवा बाकी है।

उसके आशीर्वाद से रोशन है ये दुनिया,
हर कठिन राह में उसका साया बाकी है।
माँ की दुआओं में वो असर है छुपा,
जो हर ठोकर पे हमें संभाल लेता बाकी है।

माँ के आँचल की ठंडी छाँव है रहमत,
जिसमें सुकून-ओ-अमन का जहाँ बाकी है।
उसकी ममता में बसी है खुदा की रहमत,
माँ का हर एहसास बेमिसाल बाकी है।


जब भी गिरते हैं, उठाने को वो तैयार रहती है,
उसकी ममता का हर पल हमें सहारा बाकी है।
उसकी आँखों में दुआओं का एक समंदर है,
हर लम्हा उसके प्यार का दरिया बाकी है।

उसकी मुस्कान में छुपा है सुकून का जहाँ,
उसकी बातों में जन्नत का सफ़र बाकी है।
दूर रहकर भी उसके साये का एहसास मिलता है,
माँ की ममता का वो अमर रिश्ता बाकी है।

©नवनीत ठाकुर

White माँ के आँचल में बसी है जन्नत की खुशबू, उसके प्यार में हर दर्द की दवा बाकी है। लोरी की धुन से सजे हैं बचपन के नगमें, उसकी ममता का हर रंग-ओ-हवा बाकी है। उसके आशीर्वाद से रोशन है ये दुनिया, हर कठिन राह में उसका साया बाकी है। माँ की दुआओं में वो असर है छुपा, जो हर ठोकर पे हमें संभाल लेता बाकी है। माँ के आँचल की ठंडी छाँव है रहमत, जिसमें सुकून-ओ-अमन का जहाँ बाकी है। उसकी ममता में बसी है खुदा की रहमत, माँ का हर एहसास बेमिसाल बाकी है। जब भी गिरते हैं, उठाने को वो तैयार रहती है, उसकी ममता का हर पल हमें सहारा बाकी है। उसकी आँखों में दुआओं का एक समंदर है, हर लम्हा उसके प्यार का दरिया बाकी है। उसकी मुस्कान में छुपा है सुकून का जहाँ, उसकी बातों में जन्नत का सफ़र बाकी है। दूर रहकर भी उसके साये का एहसास मिलता है, माँ की ममता का वो अमर रिश्ता बाकी है। ©नवनीत ठाकुर

#मां

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