नन्हे नन्हे हाथ
वो तुतलाती ज़बान
जब प्यारी सी हँसी से
निखर उठता था आसमान,
थोड़ी सी शैतानी
माँ की डांट पा का प्यार
छोटी छोटी बातों से जब हो जाती तकरार,
किलकारी के स्वरूप में
नन्हें नन्हें फूल खिलते थे जहां अपरम्पार,
माँ की लोरी, काम से चोरी
दोस्त संग मस्ती वे
आजाद सपने,
बदलती इस दुनिया में
जब दुश्मन भी नजर आते थे अपने,
बेवजह रोना, जल्दी सोना
भाई संग झगड़ा
हौसला होता पहाड़ से भी तगड़ा,
ऐसा था मेरा मन
नन्ही सी किलकारी से जब खिल उठता आँगन
आज बड़ा याद आता है वो प्यारा सा बचपन।।
©Sam
#Yaad aata woh bachpan