मुझे इसका इल्म नहीं था, के इस बस्ती में रसूख है उस | हिंदी शायरी

"मुझे इसका इल्म नहीं था, के इस बस्ती में रसूख है उसका, बचपन का किस्सा एक सुनाया और फुर्र से उसकी हवा निकल गई। ©नवनीत ठाकुर"

 मुझे इसका इल्म नहीं था, के इस बस्ती में रसूख है उसका,
बचपन का किस्सा एक सुनाया और फुर्र से उसकी हवा निकल गई।

©नवनीत ठाकुर

मुझे इसका इल्म नहीं था, के इस बस्ती में रसूख है उसका, बचपन का किस्सा एक सुनाया और फुर्र से उसकी हवा निकल गई। ©नवनीत ठाकुर

#इल्म

People who shared love close

More like this

Trending Topic