तेरी गुजारिशें बन रही हैं
दिल की आहटें
अधूरे पन्नों की दास्तां
लबों से बयां करना है,
जो तेरा नहीं
उसे मुकम्मल करना है,
काफी ऐतराम किया
मग़र मोहब्बत के दामन
ना बन जाएँ
दिलों की साजिशें,
वक्त कैसा है
किसका है
ख़ुद को भी नहीं पता,
धड़कन बनकर अपना बनाना है
तेरे लिए कुछ पाना है
कुछ खोना है।।
©Akanksha Dixit
#sagarkinare
ख़ुद को ख़ुद से मिलाना।।