White मुहब्बत में "मै"और "तुम"नहीं होता
सब कुछ "हम" हो जाता है!
ना "इगो"रहता है और ना ही स्वाभिमान
और मैंने भी हमेशा
इस बात को स्वीकार किया है!
परंतु मैं हर बार अपने स्वाभिमान को मारकर
भी उसका साथ नहीं पा पाता
मै जितना करीब आने की कोशिश करता हूं
वह अपने हठधर्मी से और दूर जाने लगती है!
जैसे मेरे स्वाभिमान और सम्मान से खेलना ही
उसका शौक बन गया हो!
कितना तकलीफ होती है मुझे
काश..!वह जान पाएं कभी
!!
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©M.K Meet
#तकलीफ