साजिशों के दौर में, सब दरवाजे खुले रहे। खुलेआम कु | हिंदी Shayari Vide

"साजिशों के दौर में, सब दरवाजे खुले रहे। खुलेआम कुछ न हुआ, चुपचाप आंखें खुलें के खुले रहे। ©Narendra kumar "

साजिशों के दौर में, सब दरवाजे खुले रहे। खुलेआम कुछ न हुआ, चुपचाप आंखें खुलें के खुले रहे। ©Narendra kumar

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