रात का वक्त था, नींद नहीं आ रही थी।
ठंडी हवा चल रही थी।, ऐसा लगता था कि
कुदरत कुछ लिखवाना चाहती हैं मुझसे।
मैंने डायरी ओर पैन✍️ उठाया।
ओर लिखने के लिए कृसी पर बैठ गई।
लिखना क्या है मालूम नहीं था।
मेरी आदत है जब भी लिखती हूं,
चाय ☕का कप मेरी टेबल पर होता है।
मैंने जो लिखा✍️,!
शायरी की शुरुआत की,चाय के कप के साथ,
कुछ लोग दूर रहकर भी होते हैं पास।
भले ही मूझे ना समझें,
लेकिन मेरी शायरी का किस्सा है वो,
जो दे हरपल अपनेपन का एहसास,
ऐसा फरिशता है वो।
रात बीतती गई,
कलम लिखती गई।
वक्त गूजरता रहा,
रात कैसे बीत गई।
पता ही नही चला।
@sandeep_barar786
@noor_barar786
sandeep kaur✍️
©Noor Barar
my shairy