अब कलम मेरी थम रही है शब्दों की क्यों जाने कमी खल | हिंदी शायरी

"अब कलम मेरी थम रही है शब्दों की क्यों जाने कमी खल रही है मुकाम वो हासिल कर नहीं पाया भावों के अभाव में ज़िन्दगी कट रही है ©sushil."

 अब कलम मेरी थम रही है 
शब्दों की क्यों जाने कमी खल रही है 
मुकाम वो हासिल कर नहीं पाया 
भावों के अभाव में ज़िन्दगी कट रही है

©sushil.

अब कलम मेरी थम रही है शब्दों की क्यों जाने कमी खल रही है मुकाम वो हासिल कर नहीं पाया भावों के अभाव में ज़िन्दगी कट रही है ©sushil.

#leafbook @Munni

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