पल्लव की डायरी
खुशियां हो गयी छूमंतर
सांसो को बचाने में पढ़ने
पर रहे जादुई मन्तर
चेहरों की उदासी में
अंग अंग पर चोट पड़ी है
महँगाई की भांग में
सबके दम घुट पड़े है
टके की आवक में
रोजगार बन्द पड़े है
अस्त व्यस्त जीवन मे
खूनी रंग मिले हुये है
होलिका की होली में
जनता के जीवन हवन हुये है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
महँगाई की भांग में सब के जीवन घुटे हुये