उल्फत तेरी भी कम नहीं थी
तो मोहब्बत मेरी भी बेपनाह थी..!!
वफा तेरी भी कम नहीं थी तो
निभाई हमने भी बेइंतहा थी..!!
फासले तुमने जो ना चाही थी तो
इरादे दूरियों की मेरी भी कहां थी..!!
हमें खोना जो तेरे खयालों में भी नहीं था..
तो जुदाई अपनी मेरी तसव्वुर में भी कहां थी..!!
भले बढ़ाई थी किस्मत ने फासले हमारे दरमियान
पर दिलों में हमारे मुहब्बत अभी भी जवां थी..!!
@feel_The_Writing
©Chanchala Singh
#Nightlight उल्फत तेरी भी कम नहीं थी
तो मोहब्बत मेरी भी बेपनाह थी..!!
वफा तेरी भी कम नहीं थी तो
निभाई हमने भी बेइंतहा थी..!!
फासले तुमने जो ना चाही थी तो
इरादे दूरियों की मेरी भी कहां थी..!!