ये जो रंगीन लगती है दुनिया तुमको असल में है ये कि | हिंदी शायरी

"ये जो रंगीन लगती है दुनिया तुमको असल में है ये कितनी बेरंग....... क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो देख रही हो हंसते चेहरे कितने खामोश हैं भीतर से... क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो रंगीन लगती है दुनिया तुमको असल में है ये कितनी बेरंग....... क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो देख रही हो हंसते चेहरे कितने खामोश हैं भीतर से... क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो लोग खुल के सब कह देते हैं ना कइयो राज दफन किये बैठे हैं दिल में क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जिनकी दोस्ती की दुहाई देते हैं लोग कच्चे धागे से बांधते हैं रिश्ते क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो मदद के लिए खड़े है तेरी खुद कुछ लेना चाहते है तुमसे क्या तुम्हें मालूम भी है...? बेमतलब से खड़े हो जाते हैं जो तेरे लिए कुछ मतलब उनको भी निकालना है तुमसे क्या तुम्हें मालूम भी है...? भरोसा दिला रहे हैं राज को राज रखेंगे परोसेंगे राज मिर्च मसाले के संग क्या तुम्हें मालूम भी है...? जो उम्मीद दिलाता है कर दूंगा सब ठीक वो भी समेट नहीं पा रहा है खुद का दर्द क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो लोग खुल के सब कह देते हैं ना कइयो राज दफन किये बैठे हैं दिल में क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जिनकी दोस्ती की दुहाई देते हैं लोग कच्चे धागे से बांधते हैं रिश्ते क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो मदद के लिए खड़े है तेरी खुद कुछ लेना चाहते है तुमसे क्या तुम्हें मालूम भी है...? बेमतलब से खड़े हो जाते हैं जो तेरे लिए कुछ मतलब उनको भी निकालना है तुमसे क्या तुम्हें मालूम भी है...? भरोसा दिला रहे हैं राज को राज रखेंगे परोसेंगे राज मिर्च मसाले के संग क्या तुम्हें मालूम भी है...? जो उम्मीद दिलाता है कर दूंगा सब ठीक वो भी समेट नहीं पा रहा है खुद का दर्द क्या तुम्हें मालूम भी है...? ©Er. Ajay pawar"

 ये जो रंगीन लगती है दुनिया तुमको 
असल में है ये कितनी बेरंग....... 
क्या तुम्हें मालूम भी है...?
 ये जो देख रही हो हंसते चेहरे 
कितने खामोश हैं भीतर से...
 क्या तुम्हें  मालूम भी है...? 
 ये जो रंगीन लगती है दुनिया तुमको 
असल में है ये कितनी बेरंग....... 
क्या तुम्हें मालूम भी है...?
 ये जो देख रही हो हंसते चेहरे 
कितने खामोश हैं भीतर से...
 क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
ये जो लोग खुल के सब कह देते हैं ना
 कइयो राज दफन किये बैठे हैं दिल में
 क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
ये जिनकी दोस्ती की दुहाई देते हैं लोग
 कच्चे धागे से बांधते हैं रिश्ते
 क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
ये जो मदद के लिए खड़े है तेरी 
खुद कुछ लेना चाहते है तुमसे 
क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
बेमतलब से खड़े हो जाते हैं जो तेरे लिए 
कुछ मतलब उनको भी निकालना है तुमसे 
क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
भरोसा दिला रहे हैं राज को राज रखेंगे
 परोसेंगे राज मिर्च मसाले के संग
 क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
जो उम्मीद दिलाता है कर दूंगा सब ठीक
  वो भी समेट नहीं पा रहा है खुद का दर्द
 क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
ये जो लोग खुल के सब कह देते हैं ना
 कइयो राज दफन किये बैठे हैं दिल में
 क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
ये जिनकी दोस्ती की दुहाई देते हैं लोग
 कच्चे धागे से बांधते हैं रिश्ते
 क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
ये जो मदद के लिए खड़े है तेरी 
खुद कुछ लेना चाहते है तुमसे 
क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
बेमतलब से खड़े हो जाते हैं जो तेरे लिए 
कुछ मतलब उनको भी निकालना है तुमसे 
क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
भरोसा दिला रहे हैं राज को राज रखेंगे
 परोसेंगे राज मिर्च मसाले के संग
 क्या तुम्हें मालूम भी है...? 
जो उम्मीद दिलाता है कर दूंगा सब ठीक
  वो भी समेट नहीं पा रहा है खुद का दर्द
 क्या तुम्हें मालूम भी है...?

©Er. Ajay pawar

ये जो रंगीन लगती है दुनिया तुमको असल में है ये कितनी बेरंग....... क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो देख रही हो हंसते चेहरे कितने खामोश हैं भीतर से... क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो रंगीन लगती है दुनिया तुमको असल में है ये कितनी बेरंग....... क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो देख रही हो हंसते चेहरे कितने खामोश हैं भीतर से... क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो लोग खुल के सब कह देते हैं ना कइयो राज दफन किये बैठे हैं दिल में क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जिनकी दोस्ती की दुहाई देते हैं लोग कच्चे धागे से बांधते हैं रिश्ते क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो मदद के लिए खड़े है तेरी खुद कुछ लेना चाहते है तुमसे क्या तुम्हें मालूम भी है...? बेमतलब से खड़े हो जाते हैं जो तेरे लिए कुछ मतलब उनको भी निकालना है तुमसे क्या तुम्हें मालूम भी है...? भरोसा दिला रहे हैं राज को राज रखेंगे परोसेंगे राज मिर्च मसाले के संग क्या तुम्हें मालूम भी है...? जो उम्मीद दिलाता है कर दूंगा सब ठीक वो भी समेट नहीं पा रहा है खुद का दर्द क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो लोग खुल के सब कह देते हैं ना कइयो राज दफन किये बैठे हैं दिल में क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जिनकी दोस्ती की दुहाई देते हैं लोग कच्चे धागे से बांधते हैं रिश्ते क्या तुम्हें मालूम भी है...? ये जो मदद के लिए खड़े है तेरी खुद कुछ लेना चाहते है तुमसे क्या तुम्हें मालूम भी है...? बेमतलब से खड़े हो जाते हैं जो तेरे लिए कुछ मतलब उनको भी निकालना है तुमसे क्या तुम्हें मालूम भी है...? भरोसा दिला रहे हैं राज को राज रखेंगे परोसेंगे राज मिर्च मसाले के संग क्या तुम्हें मालूम भी है...? जो उम्मीद दिलाता है कर दूंगा सब ठीक वो भी समेट नहीं पा रहा है खुद का दर्द क्या तुम्हें मालूम भी है...? ©Er. Ajay pawar

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