मन सहमा-सहमा लगता है, दिन रातों में ढल जाता हैं,,,

"मन सहमा-सहमा लगता है, दिन रातों में ढल जाता हैं,,, अंजुल में पानी भर भी लो, वो धीरे धीरे बह जाता है। आंखों की चौखट से ताल्लुक जिन सपनों का रहता है, लड़ने की जिद अपनी है पर डर अपनो का रहता है। ✍️poetramashankar"

 मन सहमा-सहमा लगता है,
दिन रातों में ढल जाता हैं,,,
अंजुल में पानी भर भी लो,
वो धीरे धीरे बह जाता है।
आंखों की चौखट से ताल्लुक
जिन सपनों का रहता है,
लड़ने की जिद अपनी है पर
डर अपनो का रहता है।

✍️poetramashankar

मन सहमा-सहमा लगता है, दिन रातों में ढल जाता हैं,,, अंजुल में पानी भर भी लो, वो धीरे धीरे बह जाता है। आंखों की चौखट से ताल्लुक जिन सपनों का रहता है, लड़ने की जिद अपनी है पर डर अपनो का रहता है। ✍️poetramashankar

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