ram lalla रसना सांपिनी बदन बिल, जे न जपहिं हरिनाम।
तुलसी प्रेम न राम सों, ताहि बिधाता बाम॥
जो श्री हरि का नाम नहीं जपते, उनकी जीभ सर्पिणी के समान केवल विषय-चर्चा रूपी विष उगलने वाली और मुख उसके बिल के समान है। जिसका राम में प्रेम नही है, उसके लिए तो विधाता वाम ही है (अर्थात् उसका भाग्य फूटा ही है)।
©ayansh