है नहीं ज़िद ये अच्छी बिना बात की।
मान लो बात मेरी मुलाकात की।।
तप रहा बिन तेरे कैसे मरुथल सा मैं
है प्रतीक्षा मुझे प्रेम बरसात की।
खो गया हूँ तुम्हारी मधुर याद में
सुध कहाँ है मुझे आज दिन रात की।
अंत तक दूर मुस्कान मुझसे न हो।
है ज़रूरत मुझे ऐसी शुरुआत की।
दर्द में भी तड़प ना रहेगी मुझे
क़द्र गर तुम्हें मेरे जज़्बात की।
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है नहीं ज़िद ये अच्छी बिना बात की।
मान लो बात मेरी मुलाकात की।।
तप रहा बिन तेरे कैसे मरुथल सा मैं
है प्रतीक्षा मुझे प्रेम बरसात की।