हर खुशी में छुपा एक डर सा है,
हर हंसी के पीछे एक असर सा है।
जो दर्द दिल के करीब आ चुका,
उसे दूर किया जाए तो मुश्किल होगी।
हर जख़्म ने सिखाई एक नई दास्तां,
हर दर्द ने रच दी दिल की इबारत जुदा।
इस सफर में खुद से जो रिश्ता बना,
उसे तोड़ कर जिया जाए तो मुश्किल होगी।
आंसुओं के दरिया में एक राहत भी है,
दर्द के हर साए में चाहत भी है।
ज़िंदगी ने जो दिया, सब कुबूल किया,
मगर उसे भुला दिया जाए तो मुश्किल होगी।
©नवनीत ठाकुर
#हर खुशी में छुपा एक डर सा है,
हर हंसी के पीछे एक असर सा है।
जो दर्द दिल के करीब आ चुका,
उसे दूर किया जाए तो मुश्किल होगी।
हर जख़्म ने सिखाई एक नई दास्तां,
हर दर्द ने रच दी दिल की इबारत जुदा।
इस सफर में खुद से जो रिश्ता बना,
उसे तोड़ कर जिया जाए तो मुश्किल होगी।