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[ मां ]
सिवा तेरे हर रिश्ते में सौदा देखा,
ऐ मां तुझ में ही मैंने खुदा देखा।
बेलौश मुहब्बत का मजसमा तू है,
तेरी पनाह में बेपनाह सुकूँ देखा।
कर्ज़ आंसूओं का मैं चुकाओं कैसे,
एहसानों से तेरे ख़ुद को दबा देखा।
थक गया जिंदगी के कश्मकश से जब भी,
तुझ में ही उम्मीदों का दिया जलता देखा।
आश अब है ही नहीं किसी से भी ज़रा,
बर्बाददियों पे ज़माने ने बस तमाशा देखा।
©Dr.Javed khan
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