बीते दिन बरसात के, फूले कास निहार।
बड़ी रात के नाम से, दिवस हुए लाचार।।
धीरे-धीरे झॉंक कर, कोहरा कर अनुमान।
बीते दिन बरसात के, धुंध नयी मेहमान।।
सेवानिवृत्त करैं सभी, विगत ज्यों वर्षा-बात।
आज चुनौती हैं नयी, उनको क्या यह ज्ञात।।
बीता मौसम मेंह का, प्रकृति न अब उमसाय।
आया मौसम शौकिया, सब का मन हर्षाय।।
मिलन अश्रु नहिं नयन मॉं, बीत गयी बरसात।
अली कली और तितलियॉं, करें मिलन की बात।।
©Shiv Narayan Saxena
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