बीते दिन बरसात के, फूले कास निहार। बड़ी रात के नाम | हिंदी Poetry

"बीते दिन बरसात के, फूले कास निहार। बड़ी रात के नाम से, दिवस हुए लाचार।। धीरे-धीरे झॉंक कर, कोहरा कर अनुमान। बीते दिन बरसात के, धुंध नयी मेहमान।। सेवानिवृत्त करैं सभी, विगत ज्यों वर्षा-बात। आज चुनौती हैं नयी, उनको क्या यह ज्ञात।। बीता मौसम मेंह का, प्रकृति न अब उमसाय। आया मौसम शौकिया, सब का मन हर्षाय।। मिलन अश्रु नहिं नयन मॉं, बीत गयी बरसात। अली कली और तितलियॉं, करें मिलन की बात।। ©Shiv Narayan Saxena"

 बीते दिन बरसात के, फूले कास निहार।
बड़ी रात के नाम से, दिवस हुए लाचार।।

धीरे-धीरे झॉंक कर, कोहरा कर अनुमान।
बीते दिन बरसात के, धुंध  नयी  मेहमान।।

सेवानिवृत्त करैं सभी, विगत ज्यों वर्षा-बात।
आज चुनौती हैं नयी, उनको क्या यह ज्ञात।।

बीता मौसम मेंह का, प्रकृति न अब उमसाय।
आया  मौसम  शौकिया, सब का  मन हर्षाय।।

मिलन  अश्रु  नहिं  नयन  मॉं, बीत गयी बरसात।
अली कली और तितलियॉं, करें मिलन की बात।।

©Shiv Narayan Saxena

बीते दिन बरसात के, फूले कास निहार। बड़ी रात के नाम से, दिवस हुए लाचार।। धीरे-धीरे झॉंक कर, कोहरा कर अनुमान। बीते दिन बरसात के, धुंध नयी मेहमान।। सेवानिवृत्त करैं सभी, विगत ज्यों वर्षा-बात। आज चुनौती हैं नयी, उनको क्या यह ज्ञात।। बीता मौसम मेंह का, प्रकृति न अब उमसाय। आया मौसम शौकिया, सब का मन हर्षाय।। मिलन अश्रु नहिं नयन मॉं, बीत गयी बरसात। अली कली और तितलियॉं, करें मिलन की बात।। ©Shiv Narayan Saxena

#बारिशें बीते दिन बरसात के..... hindi poetry on life

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