दिन खत्म हो जाता है ,
और रात भी आ जाती है।
दिल की बात को मगर ,
लेखनी नहीं लिख पाती है।
आंखों से निकली अश्रु धारा,
ना लिखा भी बहा ले जाती है।
सावन की हरियाली में भी,
सजनी बिरहा के गीत गाती है।
देने को मिलन प्रेम पत्र फिर,
वो मेघा को ही दूत बनाती है।। स्नेह शर्मा
©#Sneha Sharma
#Sneh sharma