स्वयं में आत्मसात होकर
किसी का दर्द तो किसी की खुशी
कोरे कागज़ पर जिवित कर जाती है
जिसे पढ़ गैर का दर्द ,खुशी अपनी सी लगे
गम खुशी दर्द मे भी अपनेपन का अहसास दे जाती है
इसे कविता कहते हैं यहीं तो कविता कहलाती है
इसे कविता कहते हैं यहीं तो कविता कहलाती है
©Uday Singh
कविता कहलाती है
#WorldPoetryDay