ऐ चाँद तू भी खूब है, और शुक्र है कि नभ में है।
होता अगर तू भी जमीं पर,तो विवादों में ही रहता।
कोई कहता चौदहवीं का,और अमावस का कोई।
कोई कहता ईद का, कोई बताता चौथ का।
शुक्र है तू नभ में है, इसलिए सबके मन में है।
©Anand Prakash Nautiyal tnautiyal
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