हालातों से लड़ता हुआ, परिंदा हूँ मैं।
मेरी नाकामी का जश्न ना मनाओ, अभी जिन्दा हूँ मैं।
उठाया है कदम, तो मंजिल पाकर रहूँगा।
देखा है ख्वाब फलक का, तो जाकर रहूँगा।
लाख मुश्किलें आएँगी राहों में, मैं जानता हूँ।
पीछे हटते नहीं कदम उससे, जो ठानता हूँ।
फिर शोले हो, या कांटे बिछे हो डगर में।
हौसले इतने कमजोर नहीं की, फँस जाऊ भॅवर में।
इस भीड़ को तैरकर पार करने का, तजुर्बा जानता हूँ।
मैं उस खेल में हारता नहीं, जो दिल में ठानता हूँ।
हौसलों से उड़ता हुआ, परिंदा हूँ मैं।
मेरी नाकामी का जश्न न मनाओ, अभी जिन्दा हूँ मैं।
पार्ट - 1
US Varma
©U.S. Varma
#Isolation