"दिल की बात"
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अगर आता मुझे "दिल की बात" कहना,
तो नहीं पड़ता मुझे सब कुछ सहना ।।
रो लेती हूं चुप-चाप कहीं भी छुपके,
क्या करूं नहीं आता मेरे आसुओं को सबके सामने बहना ।।
कहते हैं सब कि तुम्हारे अन्दर हृदय नहीं है,
क्या करूं नहीं आता मुझे मोम की तरह पिघलना । ।
जो कुछ मेरे अन्दर है वो अन्दर ही रहना चाहते हैं,
कैसे बताऊं मेरे आँसू चाहते नहीं सबके सामने निकलना।।
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©Richa Dhar
#Wish