कल एक झलक ज़िंदगी को देखा, वो राहों पे मेरी गुनगुन | हिंदी Poetry Vide

"कल एक झलक ज़िंदगी को देखा, वो राहों पे मेरी गुनगुना रही थी, फिर ढूँढा उसे इधर उधर वो आँख मिचौली कर मुस्कुरा रही थी, एक अरसे के बाद आया मुझे क़रार, वो सहला के मुझे सुला रही थी हम दोनों क्यूँ ख़फ़ा हैं एक दूसरे से मैं उसे और वो मुझे समझा रही थी, मैंने पूछ लिया- क्यों इतना दर्द दिया कमबख्त तूने, वो हँसी और बोली- मैं जिंदगी हूँ पगले तुझे जीना सिखा रही थी। ©Sam "

कल एक झलक ज़िंदगी को देखा, वो राहों पे मेरी गुनगुना रही थी, फिर ढूँढा उसे इधर उधर वो आँख मिचौली कर मुस्कुरा रही थी, एक अरसे के बाद आया मुझे क़रार, वो सहला के मुझे सुला रही थी हम दोनों क्यूँ ख़फ़ा हैं एक दूसरे से मैं उसे और वो मुझे समझा रही थी, मैंने पूछ लिया- क्यों इतना दर्द दिया कमबख्त तूने, वो हँसी और बोली- मैं जिंदगी हूँ पगले तुझे जीना सिखा रही थी। ©Sam

#hand #soft #Zid

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