जोश में होश खो देते हैं
अक्सर हम अपनी किस्मत पे रो देते हैं
बेहतर हो कुछ ,तो खुद की मेहनत बताते हैं।
बुरा हो तो कुछ, अपनी किस्मत पे इतराते है।
तो फिर क्या हैं, कर्म और किस्मत हमारी
हम पर ही है, ये कि कैसी हैं कलम हमारी
कर्म स्याही हैं, और कलम किस्मत हमारी
बिन स्याही के, किस्मत अधूरी है हमारी ।।
(m.bhatt)
©Manoj Bhatt
#कर्म- किस्मत