मुकद्दर मैं नहीं विसाले यार तो क्या हुआ। हर इश्क ह | हिंदी शायरी

"मुकद्दर मैं नहीं विसाले यार तो क्या हुआ। हर इश्क हो मुक्कमल ऐसा तो ज़रूरी नहीं। में उसे चाहता हूं ये मेरा मसला है सनम। वो भी मुझे चाहे ऐसा तो ज़रूरी नहीं। ©Mohd Shuaib Malik~सनम"

 मुकद्दर मैं नहीं विसाले यार तो क्या हुआ।
हर इश्क हो मुक्कमल ऐसा तो ज़रूरी नहीं।
में उसे चाहता हूं ये मेरा मसला है सनम।
वो भी मुझे चाहे ऐसा तो ज़रूरी नहीं।

©Mohd Shuaib Malik~सनम

मुकद्दर मैं नहीं विसाले यार तो क्या हुआ। हर इश्क हो मुक्कमल ऐसा तो ज़रूरी नहीं। में उसे चाहता हूं ये मेरा मसला है सनम। वो भी मुझे चाहे ऐसा तो ज़रूरी नहीं। ©Mohd Shuaib Malik~सनम

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