स्वार्थ में सब पूजते भगवान को|
सूझता कुछ भी नहीं इंसान को|
जेब में कुछ भी नहीं देखो मगर|
मर रहा इंसान झूठी शान को|
रंक का कोई नहीं सुन लो यहाँ|
पूछते हैं सब यहाँ धनवान को|
खूब सजती हैं यहाँ महफिल सुनो|
पर तरसते हैं सभी मुस्कान को|
बेबहर ,बिन भाव के लिखते सभी|
पर सभी प्यासे यहाँ गुणगान को|
💞रश्मि💞
©रश्मि सचिन पाठक
💞S .R💞
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