मन भरकर रो लेने से यार दर्द कम नहीं होता
जल्द कम हो जाए तो ,वो कोई ग़म नहीं होता
सच में टूटता है दिल ,तो कई टुकड़ों में इस तरह
समेटने वाले का भी ,तब समेटने का मन नहीं होता
उसकी पसंद से अच्छी तरफ से वाकिफ था मैं
अगर मज़बूरी होती तो हाथ में वहीं कंगन नहीं होता
किताबो में पढ़ा था मिलाने वाला तो खुदा होता है
अब याद आता है तो किताबे पढ़ने का मन नहीं होता
मंदिरों में माथा टेकने से कुछ हासिल नहीं होता ' अमित '
छोड़ने वाला छोड़ ही देता है ,अगर उसका मन नहीं होता
©amit kumar
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