"White हर मौसम का साथ निभाया हमने
हर फिज़ा के हम पर निशाने रहे
हमने ने गैरों को भी अपना समझा
और हम अपनों के भी बेगाने रहे
जिस दर्द से गुजर आती होगी मौत
हर रोज झेल कर भी हम मस्ताने रहे
हौसलों होगे गवाह इक दिन आयेगी
महबूबा मौत और होठों पर तराने रहे
मैं नहीं मुतमईन कि बेघर को घर कहूं
दिल में वीरानी और होंठो पर जमाने रहे
रंगी फिजायें होंगी बहार के मौसम होंगे
ठुकराये ही सही इश्क के घराने होंगे
©Brijendra Dubey 'Bawra,
"