भीष्ण गर्मी, दिन का चल रहा है चौथा पहर, कर रहा मजद

"भीष्ण गर्मी, दिन का चल रहा है चौथा पहर, कर रहा मजदूरी वो जब कुदरत बरसा रही है कहर, किस्से सुने है अक्सर देश के कृषि प्रधान होने के, क्या किसी ने पूछा आज तक क्यों किसान खा रहा ज़हर!! साहूकार का भारी कर्ज़ उसको चैन से सोने ना दे, देख परिवार के चेहरे की हँसी उसको ढंग से रोने ना दे, एक एक पाई को जोड़ कर भी हाथ उसके थे कंगाल, दाम हुए महँगे बीजो के भी फसल उसको बोने ना दे।। सितम्बर 2020 को आया ये कैसा फ़रमान, पालता रहा फ़िर भी वो देश को बिना खोये अपना ईमान, है गुज़ारिश देश से, कब जागेगा देश का जवान, बनकर बैठे जो राजनेता वो ही है इस खेल के हैवान।। आज दिख रहा है हमे बस उनका धरना, सब बड़-बड़ बोलेंगे और किसी ने कुछ नहीं है करना, 26 जनवरी को दिखाई नकली छवी और उनका हमसे लड़ना,, आज दो साथ आन्दोलन में उनका, या फिर फिर से शुरू होगा किसानों का मरना।। फिर शुरू होगा किसानों का मरना।। . ©Rahul Lohat"

 भीष्ण गर्मी, दिन का चल रहा है चौथा पहर,
कर रहा मजदूरी वो जब कुदरत बरसा रही है कहर,
किस्से सुने है अक्सर देश के कृषि प्रधान होने के,
क्या किसी ने पूछा आज तक क्यों किसान खा रहा ज़हर!!

साहूकार का भारी कर्ज़ उसको चैन से सोने ना दे,
देख परिवार के चेहरे की हँसी उसको ढंग से रोने ना दे,
एक एक पाई को जोड़ कर भी हाथ उसके थे कंगाल,
दाम हुए महँगे बीजो के भी फसल उसको बोने ना दे।।

सितम्बर 2020 को आया ये कैसा फ़रमान,
पालता रहा फ़िर भी वो देश को बिना खोये अपना ईमान,
है गुज़ारिश देश से, कब जागेगा देश का जवान,
बनकर बैठे जो राजनेता वो ही है इस खेल के हैवान।।

आज दिख रहा है हमे बस उनका धरना,
सब बड़-बड़ बोलेंगे और किसी ने कुछ नहीं है करना,
26 जनवरी को दिखाई नकली छवी और उनका हमसे लड़ना,,
आज दो साथ आन्दोलन में उनका,
या फिर फिर से शुरू होगा किसानों का मरना।।
फिर शुरू होगा किसानों का मरना।।





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©Rahul Lohat

भीष्ण गर्मी, दिन का चल रहा है चौथा पहर, कर रहा मजदूरी वो जब कुदरत बरसा रही है कहर, किस्से सुने है अक्सर देश के कृषि प्रधान होने के, क्या किसी ने पूछा आज तक क्यों किसान खा रहा ज़हर!! साहूकार का भारी कर्ज़ उसको चैन से सोने ना दे, देख परिवार के चेहरे की हँसी उसको ढंग से रोने ना दे, एक एक पाई को जोड़ कर भी हाथ उसके थे कंगाल, दाम हुए महँगे बीजो के भी फसल उसको बोने ना दे।। सितम्बर 2020 को आया ये कैसा फ़रमान, पालता रहा फ़िर भी वो देश को बिना खोये अपना ईमान, है गुज़ारिश देश से, कब जागेगा देश का जवान, बनकर बैठे जो राजनेता वो ही है इस खेल के हैवान।। आज दिख रहा है हमे बस उनका धरना, सब बड़-बड़ बोलेंगे और किसी ने कुछ नहीं है करना, 26 जनवरी को दिखाई नकली छवी और उनका हमसे लड़ना,, आज दो साथ आन्दोलन में उनका, या फिर फिर से शुरू होगा किसानों का मरना।। फिर शुरू होगा किसानों का मरना।। . ©Rahul Lohat

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