White इन दिनों आसपास तो छाया कोहरा है
इस शहर में आकर चांद जो ठहरा है
आपकी आपसे शिकायत भी कैसे करूं
खूबसूरत लबों पर तिल का जो पहरा है
कोहरे की चादर ओढ़ हुआ सवेरा है
आसमान में जो छाया अंधेरा है
कैसे निहारूं इन आंखों से की
तेरी आंखों में काजल कितना गहरा है
आज रात अंधेरा कितना गहरा है
उस बालकनी पर जुगनू का पहरा है
तेरी पाजेब की आहट से
तेरे दरवाजे पर ये जुगनू भी ठहरा है
भंवरों का फूलों से रिश्ता कितना गहरा है
फूलों पर ही भंवरों का बसेरा है
बीते दिनों से आपसे शिकायत है की
जान के दिल पर तेरे चांद से चेहरे का पहरा है
कवि जीतू जान
©कवि- जीतू जान
#GoodMorning gajal