White जब भी तुम्हें याद किया ,
तुम्हे खुद के करीब पता हूं...
टूट जाति है जहां उम्मीद सारी,
उन सभी के बीच तुम्हें खड़ा पता हूं...
जब-जब तुम्हारे लिए मेरी आंखें नम हुई,
तब-तब तुम्हे अपने फोन के नोटिफिकेशन में पाता हूं...
माना कि हम कभी एक नही हो सकते,
पर अलग होकर भी हम अलग कहां हैं...
हर दफा बस यही सवाल दोहराता हूं...
जब भी तुम्हें याद करता हूं,
वक्त कि सभी पावंधी को तोड़
तुम्हारा मैसेज मेरे फोन पर आ जाता है...
कांप जाता हूं उन लम्हों को याद कर,
जब आखरी बार मिला था तुमसे
जब तुम सिर्फ तुम थी...
अब तो जब भी मिलता हुं तुम अनेकों नाम से मिलती हो...
किसी कि बेटी, किसी की बहु, किसी कि पत्नी ,
किसी कि दोस्त तो किसी के लिए मां...
पर मेरे दोस्त आज भी मैं वही हुं,
बस बदला है तो मेरे चेहरे कि रंगत...
अक्सर लोग पुछते हैं मेरी ख़ामोशी का सबब,
अब उन्हें मैं कैसे समझाऊं कि कोई थी,
जो "दिव्यांशु" को "अन्यांश" बनाकर,
"दिव्यांशु" को हमेशा के लिए अपने साथ ले गई...
©अन्यांश
#Night