प्रभु! तुमसे दूर यहाँ,,,, सुकून के दिन नहीं देखे | हिंदी कविता

"प्रभु! तुमसे दूर यहाँ,,,, सुकून के दिन नहीं देखे कभी खुशी की रात नहीं आई तुम्हारे बिन ये दुनिया मुझे बिल्कुल भी रास नहीं आई, मैंने सुनना चाहा तुझको आवाज देकर भी दूर पहाडों से फिर भी तेरी कोई आवाज नहीं आई, तुम्हारे बिन ये दुनिया मुझे बिल्कुल भी रास नहीं आई! ©Harishh,,,,,"

 प्रभु! तुमसे दूर यहाँ,,,, 

सुकून के दिन नहीं देखे
कभी खुशी की रात नहीं आई
तुम्हारे बिन ये दुनिया
मुझे बिल्कुल भी रास नहीं आई, 

मैंने सुनना चाहा तुझको
आवाज देकर भी
दूर पहाडों से फिर भी
तेरी कोई आवाज नहीं आई, 
तुम्हारे बिन ये दुनिया
मुझे बिल्कुल भी रास नहीं आई!

©Harishh,,,,,

प्रभु! तुमसे दूर यहाँ,,,, सुकून के दिन नहीं देखे कभी खुशी की रात नहीं आई तुम्हारे बिन ये दुनिया मुझे बिल्कुल भी रास नहीं आई, मैंने सुनना चाहा तुझको आवाज देकर भी दूर पहाडों से फिर भी तेरी कोई आवाज नहीं आई, तुम्हारे बिन ये दुनिया मुझे बिल्कुल भी रास नहीं आई! ©Harishh,,,,,

Divine,

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