दूरियां बढ़ानी पड़ी क्योंकी तुम ख़ास थी। वरना बात | हिंदी Poetry

"दूरियां बढ़ानी पड़ी क्योंकी तुम ख़ास थी। वरना बात-चीत से सुलझते हैं मसले, ये मैं भी जानता हूं और तुम भी जानती हो। ©Yogi Jigar Sharma"

 दूरियां बढ़ानी पड़ी क्योंकी तुम ख़ास थी।

वरना बात-चीत से सुलझते हैं मसले, ये मैं भी जानता हूं और तुम भी जानती हो।

©Yogi Jigar Sharma

दूरियां बढ़ानी पड़ी क्योंकी तुम ख़ास थी। वरना बात-चीत से सुलझते हैं मसले, ये मैं भी जानता हूं और तुम भी जानती हो। ©Yogi Jigar Sharma

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