Unsplash जब एक स्त्री और पुरुष
परिपूर्ण प्रेम और आनंद में मिलते हैं,
तो वह मिलन एक
स्प्रिचुअल एक्ट हो जाता है,
एक आध्यात्मिक कृत्य हो जाता है।
फिर उसका सेक्स से
कोई संबंध नहीं है।
वह मिलन फिर कामुक नहीं है,
वह मिलन शारीरिक नहीं है।
वह मिलन इतना अनूठा है,
वह उतना ही महत्वपूर्ण है,
जितनी किसी योगी की समाधि।
उतना ही महत्वपूर्ण है
वह मिलन,
जब दो आत्माएं
परिपूर्ण प्रेम से संयुक्त होती हैं।
और उतना ही पवित्र है वह कृत्य,
क्योंकि परमात्मा उसी कृत्य से
जीवन को जन्म देता है
और जीवन को गति देता है।
©Andy Mann
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