Unsplash चलते चलते थक गए, राहगीर के पांव। आंँख मी | हिंदी कविता

"Unsplash चलते चलते थक गए, राहगीर के पांव। आंँख मीच कर बैठता, मिली जहां पर छांँव। ©Tarun Rastogi kalamkar"

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चलते चलते थक गए, राहगीर के पांव।
आंँख मीच कर बैठता, मिली जहां पर छांँव।

©Tarun Rastogi kalamkar

Unsplash चलते चलते थक गए, राहगीर के पांव। आंँख मीच कर बैठता, मिली जहां पर छांँव। ©Tarun Rastogi kalamkar

#राहगीर_थकान_छांव

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