एक तेरी नहीं से
कई ख़्वाब टुटे
कुछ बिखरे
शाखों से
कुछ अंकुरण
पर फूटें
क्या सपने सजे थे
दिवस के सुनहले
क्या वो भी धरा पे
धरे ही रहेंगे
मै दुल्हन बनूंगी
तू बन मेरा राजा
बसंती के फूलों से
मंडप है साजा
मेरी डोली की
कुछ अनगढ़ कहानी
ना तू मेरा राजा
ना मै तेरी रानी
©Sanu Pandey