एक दुनिया कविताओं की
मेने ऐसे बनाई है
पत्थर दीवारों की जरूरत ही नहीं
मेने एहसासों से सजाई है
छिड़क देती हूं रंग महोब्बत के
थोड़ी उदासी भी जिसमे मिलाई है
न दुनिया की रस्मे रिवाज
न ही यहां कोई रुसवाई है
एक दुनिया कविताओं की
मेने ऐसी बनाई है
नहीं आडंबरों की जरूरत यहां
नहीं कोई झूठी सच्चाई है
जिसे चाहु वो मेरा है
बाकी सब दुनिया यहां पराई है
हां बस ऐसी ही
ये दुनिया मेने अपने लिए बनाई है
©S K