कभी किस्मत से न था कोई गिला हमारा,
मगर ख़्वाब जो टूटे, अब थोड़ी शिकायत तो करू।
दिल में एक तलब थी, पर खामोश रहे,
अब दिल में तन्हाई हो, तो कुछ कहने की चाहत तो करू।
ज़िंदगी के सफर में दर्द था, पर हिम्मत थी,
अब वो चुप है, अब जरा सा गम तो करू ।
मुहब्बत की राहों में अगर दूरियाँ रहीं,
तो तुझसे दूर होकर, अब कुछ शिकवे तो करू।
तेरी यादें ही सही, दिल को थामे रखी हैं,
मगर कभी तू पास होता, तो शिकायत क्या करु।
©नवनीत ठाकुर
#नवनीतठाकुर
कभी किस्मत से न था कोई गिला हमारा,
मगर ख़्वाब जो टूटे, अब थोड़ी शिकायत तो करू।
दिल में एक तलब थी, पर खामोश रहे,
अब दिल में तन्हाई हो, तो कुछ कहने की चाहत तो करू।