हम भी क्या, ज़िद किया करते थे।
वो बचपन था, खूब जिया करते थे।
हसी भी अब ख़रीद कर ह़सा करते!
एक इशारे पर हसी आया करते थे।
मासूम लगूं, चेहरे संवारा करते अब!
गोद में मासूमियत दिखाया करते थे।
पास जाने पास आने से अब कतराते!
हर कोई अपने पास बुलाया करते थे।
ये ज़वानी सवालों में घिरे रहा करती है!
क्या बचपन था, क्या बहलाया करते थे।
©महज़
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