White के ज़िन्दगी में आये वो ग़ुलाब की तरह,
और बस गए ज़ेहन में वो शराब की तरह।
चेहरे पे उनके एक हंसी मज़मून लिखा है,
पढता हूँ उन्हें रोज़ में किताब की तरह।
हम एक दूसरे के लिए ही तो बने है,
मैं हूँ कलम और वो मेरे दवाद की तरह।
हो जाये घर जुदा तो मुकम्मल ना रहेंगे,
मैं हूँ सवाल वो मेरे जवाब की तरह।
एक बूँद एक कतरे सा ये प्यार नहीं है,
डूबे हुए हैं इश्क़ में बरसात की तरह।
वो दूर भी हो जाये तो वो साथ रहेंगे,
वो दिल में मेरे बस्ते हैं जज़्बात की तरह।
©Tarik Khan
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