White मेरा जीवन दुखों भरा था,फिर भी तकलीफ जरा ना थी।
मिट गई वो भी क्षणिक खुशियां,जो मेरे नसीब में थी।
ऐ खुदा..मेरे मालिक.. बस इतना तो बता दे, कसूर क्या..? मेरी थी।
जीवन की हर कामयाबी छीनी,फिर भी शिकायत ना तुझसे थी।
ऐ खुदा..2 प्रेम क्यों जोड़ा तूने, सबसे...जब उसे छीननी ही थीं।
सांस भी दिया तो चंद दिनों का,फिर भी शिकायत सभी की थी।
बन ना सका नजरियों का खिलाड़ी, उम्मीदें तो सभी की थी।
क्यों रोग ऐसा दिया ऐ खुदा ..? जब किसी रोग से शिकायत ना थी।
मेरा जीवन दुखों भरा था,फिर भी तकलीफ जरा ना थी।।
©pt.विकास kumar शर्मा
#love_shayari हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविताएं कविता प्रेम कविता