लिखने को करता है मेरा भी मन।
पर देखो क्या हो रहा हमारे वतन।।
चोरी डकैती हो रही है मारा मारी..
कही पे गोली तो कही पे बम बारी..
गली गली घूमते ये नशेड़ी जुवारी..
वो भूखे मरते बच्चें गरीब भिखारी..
तन को लूटने है बैठे मन के पुजारी..
जेब को भरते घूसखोरी अधिकारी..
मानव मानव के लिए बने शिकारी..
वो ही करते खुद गजब चित्रकारी..
ये देखकर कांप जाता है मेरा मन।
कलम की स्याही सुखे देख वतन।।
✍️सोमेश देवांगन✍️
❤️sp❤️
पंडरिया कबीरधाम
©Somesh DEwangan
#Thinking