सही-सही दो टूक कहा,
दर्दे दिल को हूक कहा,
जली दूध से जुबां हमारी,
पियो छाछ भी फूंक कहा,
ज़ुल्म देखकर भी चुप बैठे,
अभिभावक को मूक कहा,
कोयल की मीठी बोली पर,
पीड़ा को भी कूक कहा,
सीख नहीं पाए अतीत से,
ग़लती को भी चूक कहा,
इन्सां की बदहाली देखी,
बक्से को संदूक कहा,
'गुंजन' हुई मुहब्बत अंधी,
गदहे को माशूक़ कहा,
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
प्रयागराज उ०प्र०
©Shashi Bhushan Mishra
#सही-सही दो टूक कहा#