"तलाशता हूं सफर में, मुकम्मल ठहराव मिले,
जहां ठहरूं कुछ पल, बनालू कुछ यादें।
बस यूहीं चलता रहूं,
करता रहूं अजनबियों से बातें।"
मेरे सफर को खुशनुमा बनाने के लिए खेत मालिक का बहुत बहुत धन्यवाद। आपके दिए हुए प्याज को खाने से ज्यादा रखने का मन कर रहा था। उसमे आपका निस्वार्थ प्रेम जो मिला था।
क्षमा चाहता हूं फोटो लेना भूल गया। अगली बार यहां से गुजरा तो फिरसे जरूर मिलूंगा।
आपके द्वारा दिए गए प्रेम रूपी प्याज से आंखों में आसूं आ गए। प्रेम की मूर्ति को इस कुछ पल के ठहराव को यादगार बनाने के लिए, बहुत बहुत धन्यवाद।
निश्छल "नीर
©Nishchhal Neer
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