जब इंसान को अपनी ग़लतियों का एहसास होने लग जाए तब | हिंदी Shayari

"जब इंसान को अपनी ग़लतियों का एहसास होने लग जाए तब वो ये बात समझ जाए कि, वो अपने रब की रहमत में दाख़िल होने लगा है। क्यूॅंकि अपनी ग़लतियों का एहसास भी अक्सर उन्हीं लोगों को होता है जिन्हें वो रब हिदायत के रास्ते पर चला कर, अपनी तरफ़ आने का रास्ता दिखाना चाहता है। ©Sh@kila Niy@z"

 जब इंसान को अपनी ग़लतियों का एहसास होने लग जाए 
तब वो ये बात समझ जाए कि,
वो अपने रब की रहमत में दाख़िल होने लगा है।
क्यूॅंकि अपनी ग़लतियों का एहसास भी 
अक्सर उन्हीं लोगों को होता है 
जिन्हें वो रब हिदायत के रास्ते पर चला कर,
अपनी तरफ़ आने का रास्ता दिखाना चाहता है।

©Sh@kila Niy@z

जब इंसान को अपनी ग़लतियों का एहसास होने लग जाए तब वो ये बात समझ जाए कि, वो अपने रब की रहमत में दाख़िल होने लगा है। क्यूॅंकि अपनी ग़लतियों का एहसास भी अक्सर उन्हीं लोगों को होता है जिन्हें वो रब हिदायत के रास्ते पर चला कर, अपनी तरफ़ आने का रास्ता दिखाना चाहता है। ©Sh@kila Niy@z

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