गैर हुए जो पल भर में उन अपनों के पीछे भागे दूर त | हिंदी शायरी

"गैर हुए जो पल भर में उन अपनों के पीछे भागे दूर तलक हम जाने कितने रिश्तों के पीछे भागे हमने ख़ुद ही आंँखों के इस ख़ालीपन को भरा नहीं जाने कितने ख़्वाब हमारी आंँखों के पीछे भागे ~ मोहन मुंतज़िर ©Adbhut Alfaz"

 गैर हुए जो पल भर में उन अपनों के पीछे भागे 

दूर तलक हम जाने कितने रिश्तों के पीछे भागे 

हमने ख़ुद ही आंँखों के इस ख़ालीपन को भरा नहीं

जाने कितने ख़्वाब हमारी आंँखों के पीछे भागे

~ मोहन मुंतज़िर

©Adbhut Alfaz

गैर हुए जो पल भर में उन अपनों के पीछे भागे दूर तलक हम जाने कितने रिश्तों के पीछे भागे हमने ख़ुद ही आंँखों के इस ख़ालीपन को भरा नहीं जाने कितने ख़्वाब हमारी आंँखों के पीछे भागे ~ मोहन मुंतज़िर ©Adbhut Alfaz

#Raat

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