Unsplash असमंजस है बहुत राहें भी कम नहीं क्या करूँ | हिंदी कविता

"Unsplash असमंजस है बहुत राहें भी कम नहीं क्या करूँ? किसको चुनु? किधर को मैं चल पड़ूं होती उथल-पुथल मन में आता है तूफ़ान भावनाओं की लहरों पर होकर सवार हिलने लगती हैं आस्थाएं बरबस ही कभी-कभी बहुत कठिन होता है चुन पाना एक राह प्रज्ञा को भी ©Kirbadh"

 Unsplash असमंजस है बहुत
राहें भी कम नहीं
क्या करूँ? किसको चुनु?
किधर को मैं चल पड़ूं
होती उथल-पुथल मन में
आता है तूफ़ान 
भावनाओं की लहरों पर 
होकर सवार
हिलने लगती हैं आस्थाएं
बरबस ही 
कभी-कभी बहुत कठिन होता है
चुन पाना एक राह
प्रज्ञा को भी

©Kirbadh

Unsplash असमंजस है बहुत राहें भी कम नहीं क्या करूँ? किसको चुनु? किधर को मैं चल पड़ूं होती उथल-पुथल मन में आता है तूफ़ान भावनाओं की लहरों पर होकर सवार हिलने लगती हैं आस्थाएं बरबस ही कभी-कभी बहुत कठिन होता है चुन पाना एक राह प्रज्ञा को भी ©Kirbadh

#library

People who shared love close

More like this

Trending Topic